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शान्तिकुञ्ज में डॉ. चिन्मय जी का अभिनंदन
माननीय डॉ. चिन्मय पण्ड्या जी श्रद्धेया जीजी से आशीर्वाद लेते हुए और कार्यकर्त्ताओं का अभिनंदन स्वीकार करते हुए
विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति माननीय डॉ. चिन्मय पण्ड्या जी का शान्तिकुञ्ज परिवार ने अत्यंत भावभरा स्वागत किया। श्रद्धेय डॉ. प्रणव पण्ड्या जी, श्रद्धेया शैल जीजी ने उनका मंगल तिलक कर पुष्पहार पहनाया। शान्तिकुञ्ज के व्यवस्थापक आदरणीय श्री महेन्द्र शर्मा जी, पूर्व व्यवस्थापक श्री शिवप्रसाद मिश्रा जी, श्री हरीश ठक्कर जी तथा शान्तिकुञ्ज के लगभग सभी विभाग प्रमुखों ने उन्हें पुष्पों की माला पहनाकर अपनी अनुभूतियाँ कृतज्ञता व्यक्त की, शुभकामनाएँ दीं। एक ऐतिहासिक उपलब्घि इस अवसर पर आदरणीय डॉ. चिन्मय पण्ड्या जी ने अपने हृदय के उद्गार व्यक्त किए। उ...
हिरोशिमा की परमाणु बम त्रासदी में दिवंगत हुए लोगों को श्रद्धांजलि
दिवंगतों को श्रद्धाञ्जलि
हिरोशिमा शहर में द्वितीय विश्वयुद्ध के समय परमाणु बम त्रासदी में दिवंगत हुई आत्माओं को पुष्पांजलि अर्पित करने का एवं शान्तिपाठ का कार्यक्रम रखा गया था। विश्व के चुने हुए महानुभावों के साथ माननीय डॉ. चिन्मय पण्ड्या जी ने भी अखिल विश्व गायत्री परिवार एवं भारतवासियों की ओर से श्रद्धाञ्जलि दी।
प.पू. गुरूदेव के विचार हैं समाधान
उल्लेखनीय है कि हिरोशिमा में हुए परमाणु बम विस्फोट में 1,20,000 से अधिक लोगों की मृत्यु हुई थी। लगभग आधे लोग तो उसी दिन मारे गए थे। उसके तीन दिन बाद नागासाकी में परमाणु बम गिराया गया, जिसमें 70 से 80 हजार लोग मारे गए। इस अवसर पर भी शान्ति...
पहाड़ी के शिखर पर बना मातृशताब्दी स्मृति उपवन
देवास। मध्य प्रदेश
गायत्री परिवार देवास की टीम ने शंकरगढ़ की पहाड़ी पर बड़ी श्रद्धा और विधि-विधान के साथ 151 फलदार, छायादार और औषधीय उपयोग वाले पौधे लगाए। देवास शाखा के मीडिया प्रभारी श्री विक्रम सिंह चौधरी ने बताया कि इस वृक्षारोपण में गायत्री परिवार के श्री राजेंद्र पोरवाल, मुख्य प्रबंध ट्रस्टी ने अपनी माता जी की प्रथम पुण्यतिथि पर उनकी स्मृति में विशेष सहयोग दिया है। इसके अंतर्गत शीशम, कटहल, जामुन, आम, बरगद, शमी, करंज जैसे 151 पौधों का रोपण किया गया है। युवा प्रकोष्ठ जिला समन्वयक श्री प्रमोद निहाले ने सभी लोगों से वर्तमान वर्षा ऋतु में अधिक से अधिक पौधे लगाने का आह्वान किया। उन्होंने शास्त्रों का उल्लेख करते हुए बताया कि जिस व्यक्ति ने अपने जीवन काल में एक भी पौधा नह...
वृक्ष गंगा अभियान के तहत विस्तृत वृक्षारोपण कार्यक्रम
वृक्ष गंगा अभियान 17,000 तरु पुत्र रोपण महायज्ञ
वृक्ष गंगा अभियान 17,000 तरु पुत्र रोपण महायज्ञ
वृक्षगंगा अभियान के अंतर्गत वन मंडल बड़वाह के सहयोग से ग्राम बागोद सुरपाल के निकट उधरन्या ग्राम वन क्षेत्र बड़वाह तहसील सनावद जिला खरगोन मध्यप्रदेश में गायत्री परिवार द्वारा 17000 (सत्रह हजार) पौधों के रोपण का ऐतिहासिक कार्यक्रम शांतिकुंज हरिद्वार के केंद्रीय प्रतिनिधि व युवा प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय संयोजक श्री केदार प्रसाद दुबेजी की उपस्थिति में सम्पन्न हुआ।
कार्यक्रम के दौरान हुई तेज बारिश के बावजूद कार्यकर्ताओ के उत्साह में कोई कमी नही आई। बरसते पानी में तरु पिताओ,कार्यकर्ताओ, वन विभाग के अधिकारियों, कर्मचारियों ने उत्साह के साथ पौधे लगा...
दिनभर चले कार्यक्रम से हजारों राहगीरों को दिया संदेश
उज्जैन। मध्य प्रदेश
से होने वाले व्यक्तिगत, सामाजिक अदनी-सी तम्बाकू की गुलामी लाभों की जानकारी दी और उन्हें एक संकल्प से छूट सकती है।’ नशे से मुक्त होने के लिए प्रेरित इस संदेश के साथ गायत्री परिवार किया। श्री देवेन्द्र कुमार श्रीवास्तव उज्जैन ने विश्व तंबाकू निषेध दिवस ने बताया कि शुक्रवार शाम 6 से पर अनेक लोगों को नशे से मुक्त रात्रि 9:30 बजे तक चले इस होने का संकल्प दिलाया। इससे योजन में बड़ी संख्या में राहगीरों पूर्व गायत्री शक्तिपीठ उज्जैन पर ने व्यसन मुक्ति के लिया परामर्श आयोजित विशिष्ट कार्यक्रम में श्री लिया और गायत्री परिवार की इस सुभाष गुप्ता ने तम्बाकू सेवन छोड़ने पहल की सराहना की।
...देसंविवि के नवीन शैक्षणिक सत्र का श्रीगणेश
ज्ञानदीक्षा ज्ञान के उदय का पर्व ः डॉ चिन्मय पण्ड्या
हरिद्वार 22 जुलाई।
देवसंस्कृति विश्वविद्यालय शांतिकुज का 44वाँ ज्ञानदीक्षा समारोह उत्साहपूर्वक सम्पन्न हुआ। समारोह का शुभारंभ मुख्य अतिथि केबीनेट मंत्री श्री धनसिंह रावत, विशिष्ट अतिथि दून विवि की कुलपति प्रो. सुरेखा डंगवाल, देसंविवि के कुलपति श्री शरद पारधी, प्रतिकुलपति डॉ चिन्मय पण्ड्या द्वारा दीप प्रज्वलन एवं देसंविवि के कुलगीत से हुआ। ज्ञानदीक्षा समारोह में भारत के 15 राज्यों के नवप्रवेशी छात्र छात्राएँ दीक्षित हुए।
युवा अनुशासन का निर्वहन करें ः श्री रावत
समारोह के मुख्य अतिथि उच्च शिक्षा एवं सहकारिता मंत्री श्री धनसिंह रावत ने कहा कि जिस युवाओं में अनुशासन होता, ऐसे युवा ही आगे बढते ह...
Yug Parivartan Ka Aadhar युग परिवर्तन का आधार भावनात्मक नव निर्माण (अंतिम भाग)
जाति या लिंग के कारण किसी को ऊँचा या किसी को नीचा न ठहरा सकेंगे, छूत- अछूत का प्रश्न न रहेगा। गोरी चमड़ी वाले लोगों से श्रेष्ठ होने का दावा न करेंगे और ब्राह्मण हरिजन से ऊँचा न कहलायेगा। गुण, कर्म, स्वभाव, सेवा एवं बलिदान ही किसी को सम्मानित होने के आधार बनेंगे, जाति या वंश नहीं। इसी प्रकार नारी से श्रेष्ठ नर है उसे अधिक अधिकार प्राप्त है, ऐसी मान्यता हट जायेगी। दोनों के कर्तव्य और अधिकार एक होंगे। प्रतिबन्ध या मर्यादाएँ दोनों पर समान स्तर की लागू होंगी। प्राकृतिक सम्पदाओं पर सब का अधिकार होगा। पूँजी समाज की होगी। व्यक्ति अपनी आवश्यकतानुसार उसमें से प्राप्त करेंगे और सामर्थ्यानुसार काम करेंगे। न कोई धनपति होगा न निर्धन, मृतक उत्तराधिकार में केवल परिवार के असमर...
‘‘हम बदलेंगे युग बदलेगा’’ सूत्र का शुभारम्भ (भाग १)
आदत पड़ जाने पर तो अप्रिय और अवांछनीय स्थिति भी सहज और सरल ही प्रतीत नहीं होती, प्रिय भी लगने लगती है। बलिष्ठ और बीमार का मध्यवर्ती अन्तर देखने पर यह प्रतीत होते देर नहीं लगती कि उपयुक्त एवं अनुपयुक्त के बीच कितना बड़ा फर्क होता है। अतीत के देव मानवों के स्तर और सतयुगी स्वर्गोपम वातावरण से आज के व्यक्ति और समाज की तुलना करने पर यह समझते देर नहीं लगती कि उत्थान के शिखर पर रहने वाले इस धरती के सिरमौर पतन के कितने गहरे गर्त में क्यों व कैसे आ गिरे।
आज शारीरिक रुग्णता, मानसिक उद्विग्नता, आर्थिक तंगी, पारिवारिक विपन्नता, सामाजिक अवांछनीयता क्रमशः बढ़ती ही चली जा रही है, अभ्यस्तों को तो नशेगाजी की लानत और उठाईगीरी भी स्वाभाविक लगती है, कोढ़ी भी आने समुदाय में दिन गुजारते रहते है पर सही...
‘‘हम बदलेंगे युग बदलेगा’’ सूत्र का शुभारम्भ (भाग २)
यदि वर्तमान परिस्थिति अनुपयुक्त लगती हो और उसे सुधारने बदलने का सचमुच ही मन हो तो सड़ी नाली की तली तक साफ करनी चाहिए। सड़ी कीचड़ भरी रहने पर दुर्गन्ध और विषकीटकों से निपटने के छुट पुट उपायों से कोई स्थायी समाधान मिल नही सकेगा। समाजगत विभीषिकाओं और व्यक्तिगत व्यथाओं के नाम रूप कितने ही क्यों न हो सबका आत्यन्तिक समाधान एक ही है कि दृष्टिकोण की दिशाधारा बदली जाय और अभ्यस्त ढर्रे की रीति नीति में क्रान्तिकारी परिवर्तन किया जाय। उलटे को उलटकर सीधा किया जा सकता है। एक शब्द में इसी को युग क्रान्ति कहा जा सकता है जिसे नियोजित किये बिना और कोई गति नहीं। जहाँ तक उतर चुके उसके उपरान्त अब महा विनाश का, सामूहिक आत्म हत्या का ही अन्तिम पड़ाव है।
मानवी क्षमता इन दिनों अनुपयुक्त को अपनाने बढ़ाने ...
‘‘हम बदलेंगे युग बदलेगा’’ सूत्र का शुभारम्भ (भाग ३)
युग परिवर्तन या व्यक्ति परिवर्तन के लिए व्यक्तिगत दृष्टिकोण और समाजगत प्रवाह प्रचलन को बदलने की बात कही जाती है। उसे समन्वित रूप से एक शब्द में कहा जाय तो प्रवृत्तियों का परिवर्तन भी कह सकते हैं। लोग आज जिस तरह सोचते, चाहते, मानते और करते है उसके उद्गम केन्द्र में ऐसे हेरफेर की आवश्यकता है जिससे सड़े गले ढर्रें का परित्याग और शालीनता का अवलम्बन संभव हो सके। इसके लिए क्या करना होगा? उसे भी संक्षेप में कहा जा सकता है। इसके लिए तीन सिद्धान्त सूत्रों को समझने अपनाने भर से काम चल जायेगा।
एक यह कि निर्वाह में संयम सादगी का इतना समावेश किया जाय जिसे औसत नागरिक स्तर का और शरीर यात्रा के लिए अनिवार्य कहा जा सके।
दूसरा यह कि सादगी अपनाने के उपरान्त जो क्षमता सम्पदा बचती ह...